कमलप्रीत कौर की कहानी, टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रर्दशन करके कमलप्रीत कौर ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खीचा है।
टोक्यों ओलपिंक मेंं भारत की महिला खिलाडियों ने शानदार प्रर्दशन कर पूर देश का ध्यान अपनी तरफ खीचा है। भारत ने अब तक इस ओलंपिक में जितने भी मेडल जीते है। वो महिला खिलाडियों ने ही जीते है। मीराबाई चानू और पीवी सिन्धु भारत को मेडल जिता चुकी है। इन दोनो की कहानी आप नीचे लिंंक पर क्लिक करके पढ सकते है।
मीराबाई चानू की कहानी | mirabai chanu story in hindi
PV sindhu success story | पीवी सिंधु की कहानी
टोक्यों ओलपिंक में भारत की तरफ से शानदार प्रर्दशन करने वाले खिलाडियों में कमलप्रीत कौर का नाम भी शामिल हो गया है। कमलप्रीत कौर एथलेटिक्स है। वो खिलाडी जो दौडने, कूदने,तैरने जैसी प्रतियोगिताओ में भाग लेते है। उन्हे एथलेटिक्स कहा जाता है। कमलप्रीत कौर डिस्कस थ्रो की एथलेटिक्स है। डिस्कस थ्रो को हिन्दी में चक्का फेक कहते है। ये उनका पहला ओलपिंक था। उन्होने अपने खेल से ना केवल अपने देशवासियों को बल्कि पूरी दुनिया के खेलप्रमियों को प्रभावित किया है।
इस ओलपिंक में अपने शानदार प्रर्दशन के दम पर कमलप्रीत ने फाइनल तक का सफर तय किया। वो भले ही फाइनल मैच में चूक गई हो। लेकिन दुनिया भर के बेस्ट खिलाडियों से भरे हुए ओलपिंक में फाइनल तक का सफर तय करना किसी भारतीय खिलाडी के लिए एक कृतिमान जैसा ही है। बिना किसी खास सुविधाओ और संसाधनों के अभाव के बावजूद सिर्फ अपने जुनून की बदौलत कमलप्रीत कौर का फाइनल में पहुंच जाना ये साबित करता है कि अगर दिल से कोई काम किया जाये तो हर बाधा को पार किया जा सकता है। आज इस लेख में हम आपको उनकी पूरी कहानी सुनाने वाले है। उनकी इस कहानी पढकर आप को अपने जीवन में आगे बढने की प्रेरणा मिलेगी।

कमलप्रीत कौर की कहानी
कमलप्रीत कौर का जन्म पंजाब के बादल नाम के गाँव में 4 मार्च 1996 में हुआ। उनके पिता का नाम के पिता कुलदीप कौर है। कमलप्रीत कौर अपने बचपन में पढाई में बिल्कुल भी अच्छी नही थी। उन्हे पढना बिल्कुल पसन्द नही था। उनके पिता जी बताते है कि वो अक्सर स्कूल ना जाने के बहाने ढूढा करती थी। इसकी वजह से अपने घरवालों की डॉट भी सुननी पड़ती थी।
जब उनके स्कूल के क्लास टीचर ने देखा कि उन्हे पढाई में कोई दिलचस्बी नही है। तो वो समझ गये कि इस लडकी का पढने लिखने से कुछ नही होने वाला। एक दिन जब वो स्कूल में आई तो उनके क्लस ने उन्हे अपने पास बुलाकर कहा कि अगर वो पढना नही चाहती तो क्या करना चाहती है। इस पर कमलप्रीत कौर ने कहा कि वो खेलना चाहती है। कमलप्रीत कौर के जवाब में उनके टीचर को सच्चाई और ईमानदारी दिखी। उन्होने कहा कि अगर तुम्हे खेलना पसन्द है। तो दिल से खेलो। खूब मेहनत करो। अगर तुमने ऐसा किया तो एक दिन तुम जरूर खेलों की दुनिया कामयाब होगी। ये कमलप्रीत कौर के लिए पहली सीख थी। उन्होने अपने टीचर की ये बात अपने दिमाग में उतार ली और पूरी तरह से खुद पर फोकस करने लगी।
वो अपने बचपन से ही काफी फिट थी। उनका शरीर खेलों के लिए एकदम फिट था। अपने शुरूआती तौर में कबड्डी और क्रिकेट खेला करती थी। तब वो सोचा करती थी कि वो एक दिन भारत की इंडियन क्रिकेट टीम में शामिल होगी। वो एक क्रिकेटर बनना चाहती थी। लेकिन बाद में अपने कोच के कहने पर वाे पूरी तरह से डिस्कस थ्रो पर फोकस करने लगी। बाद में वो अपने स्कूल की तरफ से नेशनल खेलने के लिए भी गई। जहां उन्होने काफी अच्छा प्रर्दशन किया।
प्रिया मलिक की कहानी | Priya malik story in hindi

नेशनल में अपने प्रदर्शन से प्रेरित होकर 2014 में कमलप्रीत कौर ने अपने खेल को सीरियस लेना शुरू कर दिया। उनकी प्रारंभिक ट्रेनिंग उनके अपने ही गाँव में भारतीय खेल प्राधिकरण में हुई। जहां उन्होने जमकर पसीना बहाया। ये समय उनके लिए टर्निग पॉइट साबित हुआ। यहां उन्होने इंटरनेशनल लेवल की ट्रेनिग ली।
यहां से डिस्कस थ्रो की ट्रेनिग लेने के बाद उन्होने एक के बाद एक कई कृतिमान स्थापित किये। उनके कैरियर के उज्जवल भविष्य की शुरूआत 29वें विश्व खेलों से हुई। इन खेलो में वो छठे स्थान पर रही । इससे पहले 2016 में वो डिस्कस थ्रो मे अंंडर-19 की चैपिंयन भी बनी। उन्होने अपना यही प्रर्दशन अंडर 20 में भी दोहराया। ओलंपिक में फाइनल तक के सफर तक पहुंचने की रूपरेखा कमलप्रीत ने तय कर ली थी। वेा बस टोक्यों ओलपिंक का इन्तेजार कर रही थी। लेकिन हम अभी ओलपिंक की बात नही करेगे । कमलप्रीत और ओलपिक के बीच अभी कुछ पडाव है जिसका हम इस लेख में आगे ज्रिक करने वाले है।
एशियाई खेलो में मिली पहली बडी सफलता

कमलप्रीत कौर को अपने जीवन की पहली बडी सफलता तब मिली जब उन्होने दोहा में हुए एशियाई खेलो में शानदार प्रर्दशन किया। इन खेलो की डिस्कस थ्रो में वो पाचवे स्थान पर रही। इससे पहल भारत की किसी महिना खिलाडी में डिस्कस थ्रो में इतना शानदार प्रर्दशन नही किया था। ऐशियाई खेलो में उन्होने ऐसा रिकार्ड बनाया जिसको तोडना आने वाले समय में भी किसी भारतीय खिलाडी के लिए काफी मुश्किल होगा।
उन्होने इस चैपिंयनशिप की चक्का फेक प्रतियोगिता में लगभग 65 मीटर दूर चक्का फेका। उनसे पहले किसी भी भारतीय ने इतनी दूर चक्का नही फेका था। वो चक्का फेक प्रतियोगिता सबसे ज्यादा दूर चक्का फेक चुकी भारतीय है। इससे पहले ये रिकार्ड दीपक पूनिया के नाम था। दीपक पूनिया ने 2012 में 64.67 दूर चक्का फेकने का रिकार्ड बनाया था। इस रिकार्ड को फिलहाल कमलप्रीत कौर ने तोड दिया है। अब सबसे ज्यादा दूर चक्का फेकने का रिकार्ड कमलप्रीत कौर के नाम है।
women hockey team story | ‘चक दे इंडिया’ मेडल से बस दो कदम दूर
अब बात टोक्यो ओलपिंंक की
टोक्यो ओलपिंंक में भी कमलप्रीत कौर ने शानदार प्रर्दशन किया है। अपने शानदार प्रर्दशन की बदौलत ही वो आज पूरे देश की नजरो में आई है। ओलपिंक एक बडा मंच है। इस मंच पर शानदार प्रर्दशन करके उन्होने खुद को साबित किया है। कमलप्रीत कौर का ये पहला ओलपिंक था। इस ओलपिंक में कई भारतीय खिलाडी अपने अपने खेलो में भाग लेने के लिए टोक्यो पहुंचे थे। कई ऐसे खिलाडी भी थे जो पहले भी अपने प्रर्दशन से खुद को साबित कर चुके थे। जिनसे पूरा देश पदक की उम्मीद कर रहा था। ये उनका पहला ओलंंपिक था। वो ऐसे खेल से भी थी। जिसको भारत में काफी लोग जानते भी नही है। इसलिए उनका नाम पदक जिताने वाले फेवरट खिलाडियों में भी नही था। ये इस बात से बता चलता है कि फाइनल में पहुंचने से पहले उन्हे कोई जानता भी नही था।
कमलप्रीत ने टोक्यो ओलंपिक में किया कमाल
कमलप्रीत कौर ने डिस्कस थ्रो में शानदार प्रदर्शन करके मेडल की उम्मीदों को फाइनल तक बरकरार रखा। उन्होने डिस्कस थ्रो के अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर की बाधा पार करके फाइनल में जगह बना ली थी। अगर फाइनल में वह अपने सवश्रेष्ठ प्रर्दशन को दोहरा पाने में कामयाब हो पाती तो निश्चित तौर पर देश के लिए ओलंंपिक मेंडल ला सकती थी। लेकिन ऐसा हो नही पाया। 2 अगस्त को हुए फाइनल में चूक कई। वो फाइनल में भले ही चूक गई हो। लेकिन फाइनल तक का सफर तय करके उन्होने इतिहास रच दिया है। वो ओलंपिक में डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में फाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय बन गई है।

mukkabaaz satish kumar story | मुक्केबाज सतीश कुमार की कहानी
कमलप्रीत कौर अभी क्या कर रही है
कमलप्रीत कौर रेलवे में क्लर्क की नौकरी कर रही है वह सीमा पूनिया को अपना आदर्श मानते हैं। उनके कोच का नाम बलजीत सिन्हा है। आज ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली कमलप्रीत कौर कभी अपने आप से इतना नाराज हो गई थी कि उन्होंने एथलेटिक ग्रुप छोड़ने का मन बनाकर क्रिकेट की तरफ़ ध्यान देना शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि मनप्रीत कौर क्रिकेट भी अच्छा खेलती है। उनका एक सपना क्रिकेटर बनना भी रहा है।
पिछले साल कोविड के चलते जब वह प्रक्टिस नहीं कर पा रही थी। तो उन्होने एथ्लेटिक्स छोडने का मन बना लिया था। वह अपने खेल की प्रैक्टिस नहीं कर पा रही थी तो उनका मन काफ़ी निराश हो गया था और उन्होंने क्रिकेट की तरफ़ ध्यान देना शुरू कर दिया था। लेकिन उनके कोच ने उन्हें समझाया तो उन्होने दोबारा से प्रक्टिस करनी शुरू कर दी। उनकी इसी प्रक्टिस का नतीजा है कि टोक्यों ओलंंपिक शानदार प्रर्दशन कर पाई है। उन्होने जिस तरह से टोक्यो ओलपिंक खेला है। जो आने वाले कई वर्षो तक याद रखा जायेगा। बहुत कम ऐसे खिलाडी होते है जो अपने पहले ही ओलंंपिक इतना शानदार प्रर्दशन कर पाते है। आज पूरा देश कमलप्रीत कौर को सलाम कर रहा है।
सवाल- कमलप्रीत कौर के कोच का क्या नाम है
जवाब- कमलप्रीत कौर के कोच का नाम बलजीत सिंह है
सवाल- कमलप्रीत कौर का रिकॉर्ड क्या है
जवाब- कमलप्रीत कौर ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 65 मीटर बाधा पार करके नेशनल रिकॉर्ड बनाया था
सवाल-कमलप्रीत कौर ओलंपिक तक कैसे पहुँचे
जवाब-कमलप्रीत कौर एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 65 मीटर बाधा पार करके ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था
सवाल- कमलप्रीत कौर का जन्म कब हुआ था
जवाब- कमलप्रीत कौर का जन्म कब हुआ कमलप्रीत कौर का जन्म 4 मार्च 1996 में हुआ थाhttps://www.youtube.com/embed/vH8uv_Rfu_8?feature=oembed
Reading your article helped me a lot and I agree with you. But I still have some doubts, can you clarify for me? I’ll keep an eye out for your answers.
Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?