आज इन लेख में आपको योगेंद्र यादव का जीवन परिचय देने वाले है।
बात 1936 की है। उस वक्त देशभर में हिन्दू मुस्लिम दगें भडकउठे। हरियाणा में एक स्कूल के बाहर दगांईयो की एक फौज जमा हो जाती है। स्कूल का हेडमास्टर उन दंगाठयों को रोकने की कोशिश करता है। दंगाईयो की इस भीड में से एक दंगाई हेडमास्टर की गर्दन को तलवार से काट देता है। जिस वक्त इस हेडमास्टर के गर्दन पर तलवार चल रही होती है उस वक्त उसका 6 साल का लडका वही मौजूद होता है। दंगाई हेडमास्टर को मारकर वहा से चले जाते है।

किसी बेट के सामने उसके बाप को इस तरह से बेरहमी से मार दिया जाये सिर्फ इस वजह से कि वो मुसलमान नही था। आप सोच सकते है कि उस बेटे के ऊपर क्या गुजरी होगी। इस तरह का हादसा किसी को भी किसी धर्म से नफरत करने के लिए काफी है। जानते है उस बेटे ने क्या किया। उसने जब उसका बेटा हुआ तो अपने बेटे का नाम सलीम रखा। इतना ही नही उसने अपनी बेटी का नाम भी नजमा रखा। हम जिसकी बात कर रहे है। उनका नाम है देवेन्द्र यादव।
देवेन्द्र यादव योगेंन्द्र यादव के पिता है। उनकी कहानी भी काफी ज्यादा दिलचस्ब है। लेकिन आज हम बात करने वाले है योगेन्द्र यादव की। योग्रेन्द्र यादव को कौन नही जानता। उनकी कई पहचान है। एक सोशल एक्टिविस्ट, पॉलिटिकल सांइस के प्रोफेसर, पत्रकार, राजनीतिक स्पेशलिस्ट, राजनेता, लेखर और आदोंलनकारी।
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योगेन्द्र यादव का जीवन परिचय
योगेंन्द्र यादव (योगेंद्र यादव का जीवन परिचय) का जन्म 5 सितम्बर 1963 को हरियाणा के रेवारी गॉव में हुआ। उनका पिता का नाम देवेन्द्र यादव था जिनके बारे में हम पहले भी चर्चा कर चुके है। देवेन्द्र खुद एक प्रोफेसर था। उनके पिता ने बचपन में उनका नाम सलीम रखा था। सलीम के पीछे की कहानी भी हमने आपको बताई। योगेन्द्र यादव अपने पिता के तरह एक मास्टर बनना चाहते थे। अपनी इसी को पूर करने के लिए उन्होने बीएएससी की। अपनी बीसीएससी में उन्होने सिल्वर मेडल हासिल किया। बीएससी करने के बाद उन्होने एमएससी की।
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अपनी पढाई पूरी करने के बाद तकरीबन 8 साल तक पंजाब यूनिवसिर्टी में पॉलिटिकल सॉइस के प्रोफेसर के रूप में काम किया। 1995 में उन्होने लोकनीति नेटवर्क की शुरूआत की। वो लोकनीति नेटवर्क के को-फाउनडर में से एक है। वो सीएसडीएस के वरिष्ठ फेलो भी रह चुके है। बाद में वो 2010 में अन्ना आदोंलन में आये।
फिर आदोंलन से जब आम आदमी पार्टी बनी वो उसमें भी शामिल भी थे। 2014 में गुडगाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर गुडगाव से चुनाव भी लड़े। 2015 तक आम आदमी पार्टी में रहे फिर अरविन्द केजरीवाल और उनके बीच मतभेद होने के चलते इस पार्टी से अलग हो गये। आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद 2 अक्टूबर 2016 को स्वराज इंडिया नाम की एक नई पार्टी की नीव रखी।
योगेंद्र यादव का जीवन परिचय : बनाई अपनी स्वराज पार्टी
स्वराज पार्टी ने 2016 में दिल्ली के निकाय चुनावों में हिस्सा लिया फिर हरियाणा में 2019 में विधानसभा चुनावों में इस पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ते हुए दिखाई दिये। योगेन्द्र यादव ने इन दोनो चुनावों में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। फिलहाल वो अब किसान आदोलन में किसानों को लीड करते हुए दिखाई दे रहे है।
योगेन्द्र यादव (योगेंद्र यादव का जीवन परिचय) के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है उनके बात करने का तरीका। योगेन्द्र यादव की बोलने की कला के कायल वो लोग भी है जो उनको पसन्द नही करते। वो इतना मीठा बोलते है कि उनके आलोचक भी उनसे प्रभावित हो जाते है। अपने बोलने की इसी कला की बदौलत वो कठिन से कठिन सवालों का जवाब बहुत आसानी से हसते हुए दे देते है। वो बहुत सलीके से और तथ्यों के साथ अपनी बात रखते है। यही वजह है कि उनकी बात को बहुत कम लोग नकार पाते है।

सादगी, सत्य और शालीनता पर भरोसे रखने वाले गांधी, अम्बेडकर और लोहिया को अपना आदर्श मानते है। वो गांधी जी से काफी ज्यादा प्रभावित दिखाई देते है। उनके जीने का तरीका भी एकदम गांधीवादी है। राजनीतिक में वो कृष्ण पटनायक को अपना गुरू मानते है। राजनीति को लेकर उनका मानना है कि राजनीति एक युगधर्म है। उनका मानना है कि राजनीति शुभ को सच बनाने का जरिया है। एक आर्दश सामाज को लेकर अगर आपको आपको कोई विचार है तो उस विचार को सत्य बनाने का रास्ता राजनीति से होकर जाता है।
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चाहे वो धर्म हो, राष्ट्रवाद हो, सामाज हो या फिर राजनीति हो। योगेन्द्र यादव (योगेंद्र यादव का जीवन परिचय) हर मुद्दें पर खुलकर अपने विचार रखते है। राष्ट्रवाद को लेकर योगेन्द्र यादव का मानना है कि भारत का राष्ट्रवाद युरोप के राष्ट्रवाद से काफी ज्यादा अलग है। भारत का राष्ट्रवाद विविधता में एकता की बात करता है। वही यूरोप का राष्ट्रवाद कहता है कि एकरूपता होनी चाहिए। भारत ने अपने राष्ट्रवाद को इतनी विविधताऐं होते हुए भी जिन्दा रखा हैा। अनकेता में एकता ही भारत की पहचान है। भारत में अगर यूरोप के राष्ट्रवाद को थोपने की कोशिश की जायेगी इसका परिणाम भारत के लोगो के दलिए काफी भयकर होगा।

योगेन्द्र यादव (योगेंद्र यादव का जीवन परिचय) किसानों और उनकी तकलीफों को लेकर काफी ज्यादा सजग नजर आते है। ऐसा नही है कि वो अभी किसानों के साथ जुडे हो। जब भी सरकारों सरकार ने किसानों के साथ नांइसाफी की वो किसान की आवाज उठाते हुए नजर आये। 2016 में जब जब सरकार भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। उस वक्त भी उन्होने किसानों के साथ एक ट्रेक्टर रैली निकाली थी। इसके अलावा वो देशभर में किसानों के साथ किसान मुक्ति यात्रा निकाल चुके है।

इशात जैदी एक लेखक है। इन्होने पत्रकारिता की पढाई की है। इशात जैदी पिछले कई सालों से पत्रकारिता कर रहे है। पत्रकारिता के अलावा इनकी साहित्य में भी गहरी रूचि है।