Akhilesh yadav story- विरासत में मिली सियासत के सघर्ष की कहानी

Akhilesh yadav story, एक अच्‍छा नेता कैसा होता है। वो नेता जो वादे करे और उन वादो को पूरा करे। या वो नेता जो सिर्फ वादों और झूूठे प्रचार के दम पर लोगो को सही मुद्दों से गुमराह करे। यूपी में बहुत जल्‍द विधानसभा चुनाव होने है। मौजूदा सरकार ने विकास की जैसी उल्‍टी गंगा बहाई। उसे देखते अब यूपी की जनता के पास मौका होगा सरकार बदलने का। मौजूदा सरकार को यूपी में जिस एक नेता से सबसे बडी चुनौती मिल रही है। उस नेता का नाम है अखिलेश यादव। उत्‍तर प्रदेश को विकास के रास्‍ते पर ले जाते हुए कई एक्‍सप्रेस वे, इन्‍टरनेशनल स्‍टेडियम, मैट्रो और युवाओं को लैपटॉप देने वाले उत्‍तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की निजि जिन्‍दगी कैसी रही है। आइये इस पर चर्चा करते है।
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Akhilesh yadav story

साल था 1973 और तारीख 1 जुलाई। यही वह दिन था जब राम मनोहर लोहिया को अपना राजनैतिक गुरू मानने वाले यूपी मे क्षेत्रीय राजनीति की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव के घर एक बेटा पैदा हुआ। इसी दिन सामाजवादी वादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेख यादव ने जन्‍म लिया था। मुलायम सिंह यादव का कुनबा बहुत बडा था इसी लिए अखिलेख यादव को बचपन से ही अपने परिवार का खूब प्‍यार मिला। बेहद प्‍यारे से दिखने वाले अखिलेश सिंह यादव को घर के लोग प्‍यार से टीपू कहकर बुलाते थे।

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अखिलेश यादव यादव परिवार के लिए खुशियों की सौगात लेकर आये। ये वो समय था जब अपने सामाजवादी विचारो के जरिये मुलायम सिंह यादव देश की राजनीति को लगातार प्रभावित कर रहे थे। अखिलेश यादव के पैदा होने के कुछ साल बाद ही पापा मुलायम सिंह यादव यूपी में विधानसभा चुनाव जीते और यूपी की विधानसभा केे सदस्‍य बन गये। 1977 आया तो मुलायम सिह यादव पहली दफा मंत्री भी बन गये। फिलहाल समय का चक्र घूम रहा था।  अपने पिता मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक चालों और दावों को देखते हुए अखिलेश यादव बडे हो रहे थे।
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यादव परिवार के अन्‍य बच्‍चो को जहा क्रिकेट खेलने और अखाडे में लडने का शौक था तो वही अखिलेश यादव को बॉलीबाल खेलना काफी अच्‍छा लगता था। अखिलेश यादव जब थोडे बडे हुए तो मुलायम सिंह यादव ने उनका दाखिला इटावा के एक स्‍कूल में करा दिया। पढने में शुरू से ही अपने साथ के बच्‍चों से काफी आगे रहने वाले अखिलेश यादव इटावा में अपनी स्‍कूलिंग करने के बाद राजस्‍थान मिलिट्री स्‍कूल धौलपुर पहुंचे। यहा भी वो अपने तमाम सहपाटियों से अव्‍वल रहते थे। साल 1996 में मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे की पढने की इच्‍छा को देखते हुए उन्‍हे इन्‍वायरमेंट में इंजीनियरिंग करने के लिए आस्‍ट्रेलिया भेज दिया। आस्‍ट्रेलिया में इन्‍वायरमेंटल इंजीनियरिग करने के बाद अखिलेश यादव चाहते तो विदेश में ही अच्‍छी नौकरी कर सकते थे। लेकिन अपने वतन और अपनी मिट्टी मौहब्‍बत करना अखिलेश यादव को अपने पिता से विरासत में मिला था। यही वजह से कि अखिलेश यादव अपना गेजुएशन पूरा करने के बाद वापस अपने वतन वापस आ गये।

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जब अखिलेश यादव आस्ट्रलिया से वापस हिन्‍दुस्‍तान आये तब तक उनके पिता मुलायम सिंह यादव यूपी की सियासत में अपने पैर जमा चुके थे। उनकी सामाजवादी पार्टी उत्‍तरप्रदेश की सबसे मजबूत पार्टी बन चुकी थी। अखिलेश यादव तो बचपन से ही अपने पिता की सियासत को देख रहे थे। उन्‍हे पता था कि सियासत में आगे कैसे बढा जाता है। लिहाजा अब वो अपनी सियासी बारी शुरू करने के लिए एकदम तैयार थे।

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Akhilesh yadav story : पहले ही चुनाव में जमाया रंंग

अखिलेश यादव ने अपना पहला चुनाव 2009 में यूपी की फिरोजाबाद सीट से लडा।  इस साल फिरोजबाद सीट पर उपचुनाव होने थे। अखिलेश यादव को अपने पहले ही चुनावो में जनता का जबरदस्‍त सर्मथन मिला। इस चुनाव में उन्‍हे जबरदस्‍त जीत मिला। इस चुनाव के बाद अखिलेश यादव की यूपी की राजनीति में बेहद एक्टिव हो गये। इस चुनाव के बाद ही उनकी अपनी पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को एक ऐसा नेता मिल गया जो उन्‍हे लीड कर सकता है। युवाओं से सीधे कनेक्‍ट होने के चलते अखिलेश यादव अपनी पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं के बीच भैया जी के नाम से मशहूर हो गया। अखिलेश यादव ने अपने पिता को अपने इरादे बता दिये थे। मुलायम सिंह यादव अब अपने बेटे को अपनी विरासत देने के लिए एकदम तैयार थे।

Akhilesh yadav story : 2012 में यूपी के मुख्‍यमंत्री बने

अब बारी 2012 के यूपी विधान चुनावो की थी। इस बार अखिलेश यादव सामाजवादी पार्टी के स्‍टार प्रचारक थे। उन्‍होने इस इलेक्‍शन के दौरान साइकिल से पूरी यूपी का दौरा किया। वो यूपी में जहा भी गये, यूपी की जनता ने उन्‍होने भरपूर प्‍यार दिया। यूपी की जनता उन्‍हे प्रदेश का अगला सीएम बनाने के लिए एकदम तैयार थी। हुआ भी वही जब इलेक्‍शन का रिजर्ड आया तो सामाजपार्टी पार्टी को यूपी में स्‍पष्‍ट बहुमत मिल चुका था। 15 मार्च 2012, यही वो दिन था जब मात्र 38 वर्ष की आयू में अखिलेश यादव ने यूपी के मुख्‍यमत्री के तौर पर शपथ ली। अखिलेश यादव के रूप में यूपी को अपना सबसे युवा मुख्‍यमत्री मिला।

मुख्‍यमंत्री बनते ही अखिलेश यादव ने प्रदेश को तरक्‍की के रास्‍ते पर ले जाना शुरू कर दिया। उनके कार्यकाल में तमाम ऐसे कार्य हुए जो यूपी में किसी मुख्‍यमंत्री ने नही किये थे। अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल मे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बनवाया, जो भारत का सबसे आधुनिक एक्सप्रेस वे है। उन्‍होने उ.प्र. में “यू.पी.100 पुलिस सेवा” और “108 एंबुलेन्स फ्री सेवा” शुरू की। उनके कार्यकाल में ही यूपी की राजधानी लखनऊ में मैट्रो रेल, लखनऊ इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, जनेश्वर मिश्र पार्क , जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर, लखनऊ- बलिया समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे 2, आदि का निर्माण हुआ। अखिलेश यादव ने यूपी के युवाओं को लैपटॉप देने का वादा भी बखूबी निभाया। उनके कार्यकाल में प्रदेश मे युवाओ को बड़ी मात्रा में लैपटाप लैपटॉप बाटे गये।Manoj muntashir kaun hai | मनोज मुंतशिर कौन है

यूपी की अपने काम की वजह से लगातार लोकप्रिय हो रहे अखिलेश यादव के ऊपर उनके विरोधियों ने मुस्लिम परस्‍त होने और अपनी मनमानी करने के आरोप लगाने शुरू कर दिया। साल 2013 में मुजफ्फर नगर में हुए दंगों ने उनकी छवि का काफी नुकसान पहुंचाया। आखिकार विरोधी अपने मकसद में कामयाब हुए और अखिलेश यादव को 2017 में हार का सामना करना पडा। अखिलेश यादव इलेक्‍शन जरूर हार गये हो लेकिन वो लोगो का दिल जीतने में जरूर कामयाब रहे।

अब जबकि यूपी में दोबारा इलेक्‍शन होने वाले है। अखिलेश यादव एक बार फिर यूपी की सियासत में अपनी किस्‍मत आजमाने को तैयार है। इस बार यूपी के चुनावों में किसको जीत मिलेगी ये तो वक्‍त ही तय करेगा लेकिन एक बात तय है कि यूपी में मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार को अगर कोई टक्‍कर दे सकता है तो अखिलेश यादव की सामाजवादी पार्टी ही है।

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