gurnam singh chaduni Story
पिछले लगभग 4 महीनो से तीन कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान दिल्ली की सरहदों पर डटे हुए है। किसानों का आदोंलन लगातार जारी है। इस आदोंलन में जिस एक नेता के ऊपर सरकार से बातचीत करना और उस बात को आम लोगो तक पहुचाना है। वो गुरूनाम सिंह चढुनी (gurnam singh chaduni) ही है।
गुरूनाम सिंह चढूनी (gurnam singh chaduni) का जन्म 12 जून 1960 को हुआ था। वो कुरूक्षेत्र के शाहबाद तहसील के चढूनी गांव के रहने वाले है। उन्होने 9 वी कक्षा तक पढाई की है। उनकी उम्र 60 साल की है। वो भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष है। हरियाणा में उन्हे किसानों का मसीहा कहा जाता है। वो पिछले 30 सालों हरियाणा में किसानों के हित के लिए काम कर रहे है।

कमीशन ऐजेन्ड के तौर पर काम करते है गुरूनाम सिंह चढूनी
हरियाणा में किसानों के मसीहा के नाम से मशहूर गुरूनाम सिंह चढूनी (gurnam singh chaduni story) कमीशन ऐजेन्ड के तौर पर काम करते है। पिछले साल जब सरकार ने कृषि के क्षेत्र में सुधार की बात करते हुए तीन विवादित कृषि कानून को पास किया था। तब इन कृषि कानूनों के विरोध की सबसे मुखर आवाज हरियाणा के पिपली से उठी थी। कृषि कानून वापस लो के नारे के साथ हरियाणा के हजारों किसान पिपली में जमा हो गये है। गुरूनाम सिंह चढूनी उस वक्त इन किसानों का नेतृत्व कर रहे थे।
किसानों को बड़ी तादात में एक साथ एक जगह पर जमा होते देखकर हरियाणा सरकार ने इन किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया था। इस लाठीचार्ज के बाद ही गुरूनाम सिंह चढूनी देश भर के किसानों के बीच अपनी पहचान बनाने में सफल हुए थे। आज जब कृषि कानून को लेकर दिल्ली समेत देशभर में विरोध प्रर्दशन हो रहे है। गुरूनाम नाम सिंह चढूनी (gurnam singh chaduni) storyकी आवाज हरियाणा से निकलकर देशभर के किसानों तक पहुंच रही है।

देशभर में किसान आदोंलन की आवाज बनने वाले उस वक्त विवादों में आ गये जब इनके ऊपर किसान आदोंलन का राजनीतिकरण करने के आरोप लगने लगे। चढूनी के ऊपर आरोप लगा कि वो किसान आदोलन की आड़ में विपक्ष की राजनीति को बढ़ावा दे रहे है। ऐसी खबरे भी आने लगी कि वो किसान सयुक्त मोर्चा से अलग होने वाले है।
जब गुरूनाम सिंह चढूनी से मीडिया ने इन सब आरोंपो को लेकर सवाल किया तो उन्होने इन सब आरोपो पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि किसान आदोंलन में विपक्ष के नेताओं के लिए कोई जगह नही है। ये आदोलन पूरी तरह से अराजनैतिक है।
kisan andolan ka itihas- किसान आदोंलन के इस इतिहास के बारे में आप शायद ही जानते होगे
ऐसा नही है कि गुरूनाम सिंह चढूनी (gurnam singh chaduni story) का राजनीति से कभी कोई वास्ता नही रहा है। वो 2019 में निर्दलीय तौर पर हरियाणा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके है। उनकी पत्नी बलविन्दर कौर ने भी 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था।
यही वजह है कि चढूनी के ऊपर ये आरोप लग रहे है कि वो किसान आदोलन के जरिये राजनीति में जाने की सीढियां तलाश कर कर रहे है। चढूनी का आगे क्या प्लान ये तो वक्त बतायेगा लेकिन ये बात तो कही जा सकती है कि किसान आदोलन ने उनकी लोकप्रियता को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। इस वक्त चढूनी को फेसबुक पर 80 हजार से ज्यादा लोग फालो कर रहे है। ऑन लाइन से लेकर ऑफलाइन तक, उनकी पहंच लगातार बढ़ती जा रही है।
gurnam singh chaduni story