Homosexuality kya hai | आज हम आपको इस विषय के बारे में विस्तार से बताने वाले है।
आमतौर पर हम इन्सान दो रूपों में पहचाने जाते है। अगर कोई लडका है तो दुनिया उसे एक मर्द के रूप में पहचानती है। इसके अपोजिट अगर कोई लडकी है दुनिया उसे एक औरत के रूप में जानती और पहचानती है। यही हम इन्सानों की मूलभूत पहचान है। हमारे जीवन का पूरा अस्तित्व इन्ही दो पहचानो के ऊपर टिका हुआ है।
हम जिस सोसाइटी में रहते है उसमे आपकी सबसे बडी पहचान भी यही है। आपके आस पास के लोग आपके साथ कैसा बर्ताव करेगे। आपको अपने अपने आसपास के लोगो के साथ कैसा बर्ताव करना है। इसका फैसला भी आप या आपके आसपास के लोग आपके जेंडर के आधार पर करते है। यही वजह है कि एक लडके के लिए सोसाइटी के अलग कानून है और एक लडकी के लिए अलग।

अगर आपको लगता है कि हम आपसे लैगिक सामानता की बात करने वाले है तो आप गलत है। सच्चाई आपको मालुम है क्या है। फिलहाल हमारा मुद्दा कुछ और है। आज हम जो बात करने वाले है वो शायद इन्सानों को देखने को लेकर आपकी जो सोच है उसको बदल के रख दे।
हम या हमारा सामाज भले ही इन्सानों को मर्द या औरत के रूप में पहचानता हो। लेकिन क्या कुदरत भी हमे सिर्फ इन्ही दो रूपो में पहचानती है। क्या किसी इन्सान का आस्तिव मर्द या औरत के अलावा भी कुछ और हो सकता है। समलैंगिकता क्या है (Homosexuality kya hai) इस विषय पर बात करने सेे पहले गजल की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए।
आज से तकरीबन 28 साल पहले पंजाब के पटियाला में एक लडके का जन्म हुआ है। ये लडका बचपन से ही काफी गोल मटोल था। इसलिए इस लडके के मा-बाप ने इसका नाम गोलू रखा।गोलू जब 6 साल का हुआ और जब उसके मां बॉप ने उसका एडमीशन स्कूल में कराया। जब ये लडका स्कूल में गया और उसने जब अपने ऐज के और दूसरे लडको को देखा तो 6 साल के इस लडके को लगा कि वो स्कूल के बाकी बच्चों से अलग है। स्कूल के बाकी लडको को जहा लडको वाले खेल खेलना पसन्द था। वही गोली को मेकअप करना, गुडियों से खेलना और अपने होठो पर लिपिस्टिक लगाना अच्छा लगता था।
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वो ये सब काम अपने परिवार और अपने दोस्तो से छिपकर करता था। धीरे धीरे गोलू के चलने और बोलने में भी बदलाव आने लगा। वो लडकियों की चलने लगा और उनकी ही तरह बोलने लगा। उसके अन्दर आये इन बदलावों को देखकर उसके बाकी दोस्त उसका मजाक बनाने लगे।
जैसे जैसे वक्त बीतता गया गोली अपने बाकी दोस्तो से अलग रहने लगा। उसको लगने लगा कि पूरी दुनिया मानो उसकी दुश्मन बन गई है। धीरे धीरे उसे ये अहसास होने लगा कि वो खुद के बारे में जो सोच कर रहा है। दुनिया उसको लेकर कुछ और सोच रही है। उसको समझ में आ गया कि उसका शरीर से भले ही एक लडका दिखता हो लेकिन अन्दर से वो एक लडकी है।
गोली के मॉ-बाप बहुत आजाद ख्याल के थे। जब गोली ने उन्हे अपने बारे मे बताया तो वो उसकी परेशानी समझ गये। गोली को अपने परिवार का साथ मिला। बाद में यही गोली अपनी सर्जरी कराकर गजल बन गई। गजल आज हिन्दी फिल्मों की जानी मानी स्किप्ट राइटर है।

दरअसल गोली एक मर्द के रूप में पैदा हुआ था लेकिन उसके अन्दर आत्मा एक औरत की थी। अब आप कहोगे कि ये क्या बकवास है। ऐसा कैसे हो सकता है। एक मर्द एक औरत कैसे बन सकता है। या एक औरत एक मर्द कैसे बन सकता है। आप चाहे इस बात को माने या ना माने लेकिन ये सच है। एक औरत के अन्दर एक मर्द हो सकता है। एक मर्द के अन्दर एक औरत भी हो सकती है। इस तरह के लोगो का इस दुनिया में अस्तित्व है। ये लोग खुद के च्वाइस से ऐसे नही होते बल्कि कुदरत ही उन्हे ऐसा पैदा करती है।
ऐसे लोगो को ही समलैगिक लोग कहा जाता है। अगर सिर्फ भारत की ही बात करे। तो भारत में ही समलैगिक लोगो की संख्या 25 लााख से अधिक है। ये 25 लाख तो सरकारी आकडे है। असल में इन लोगो की तादात इससे काफी ज्यादा अधिक है। समंलैगिकता क्या है। समंलैगिक कौन होते है। आइये अब इसको लेकर विस्तार से बात करते है।
होमोसेक्सुअलिटी का मतलब क्या होता है | Meaning ofHomosexuality in hindi
आम तौर पर जब कोई बच्चा पैदा होता है तो उसके पाईवेट पार्ट को देखकर उसके जेंडर की पहचान की जाती है। 99 फीसदी लोग अपने सही जेंडर को लेकर ही पैदा होते है। इन लोगो को हाइड्रोसेक्सुअल कहा जाता है। हाइड्रोसेक्सुअल लोग हमेशा अपने अपोजिट सेक्स की तरफ आर्कषित होते है। आमतौर पर ऐसा ही होता है। लेकिन हमेशा ऐसा ही हो ये जरूरी है। कुछ लोग होमोसेक्सुअल भी पैदा होते है।

इस विषय पर आगे बढने से पहले इस शब्द का मतलब क्या है। इसको जानने और समझने की कोशिश करते है। होमो का मतलब होता है सामान। और सेक्सुअल का मतलब होता है सेक्स, मतलब जेंडर। जब कोई इन्सान अपने सामान जेंडर की तरफ आर्कषित होने लगता है। उसे होमोसेक्सुअल कहते है।
इसको और बेहतर तरीके से समझे की कोशिश करते है। मान लो कोई लडकी किसी लडकी की तरफ आर्कषित होने लगे। उसके अन्दर किसी लडकी के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाने की इच्छा होने लगे। उसे लडको में कोई इन्ट्रेस्ट ना हो। तो ऐसी लडकी को होमोसेक्सुअल कहा जायेगा।
ऐसी ही सेम कन्डीशन किसी लडके के साथ तो उसे भी होमोसेक्सुअल ही कहा जाता है। होमोसेक्सुअल लडकी को लेस्बियन और लडके को गे बोला जाता है। ये भी हो सकता है कि कोई लडका या लडकी किसी अन्य लडके या लडकी दोनो में इन्ट्रेस्डिट हो। ऐसे लडके या लडकी को बाइसेक्सुअल बोला जाता है।
एलजीबीटी क्या है। LGBT kaun hote hai
वो लोग जिनकी सेक्सुअल आइडेंटिटी हाइड्रोसेक्सुअल लोगो से अलग होती है। वो एलजीबीटी के अन्तर्गत आते है। एलजीबीटी में एल का मतलब होता है लेस्बियन, जी का मतलब होता है गे, बी का मतलब होता है बाइसेक्सुअल और टी का मतलब होता है ट्रासजेंडर।
ट्रासजेंडर कौन होते है | transgender kaun hote hai
वो लोग जो पैदा तो लडके या लडकी के रूप में होते है। लेकिन जैसे जैसे वो बड़े होते है। उनका हाव भाव बदलने लगते है। उनकी बात करने से लेकर चलने का तरीके सब कुछ बदल जाता है। ऐसे लोगो अपने जेंडर से अलग अपने से विपरीत जेंडर की तरह बिहेव करने लगते है। अगर कोई लडका है तो उसकी आदते लडकियों जैसी हो जाती है। और अगर लडकी है तो उसकी आदते लडको जैसी होने लगती है। इन लोगो को लगने लगता है कि वो उस शरीर में नही है जिसमें उन्हे होना चाहिए था। ऐसे लोगो को जब सामाज में स्वीकृति नही मिलती है तो अपने जैसे लोगो के बीच में रहने चले जाते है। आमतौर पर ऐसे लोगो को हिजडा बोला जाता है।
एलजीबीटी को लेकर कानून क्या कहता है
अमूमन लोग हाइट्रोसेस्कुअल होते है। इसलिए होमोसेक्सुअल लोगो को सामाज बहुत कम समझ पाता है। सामाज होमोसेक्सुअल होना एक अपराघ समझा जाता है। कुछ लोगो को ये भी लगता है कि होमोसेक्सुआलिटी एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिन्हे दवाइयों के जरिये ठीक किया जा सकता है।
कुछ वर्ष पहले तक अपने ही जेंडर के इन्सान के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना गैरकानूनी था। लेकिन जब दुनिया भर में इस विषय पर रिसर्च हो चुकी है। कई देशों में समलैगिक लोगो के अधिकारों को लेकर कानून बन चुका है। कई देश जो पहले समलैगिता का विरोध करते थे। अब इसके पक्ष में आ चुके है। ऐसे में ज्यादातर देश में समलैगिकता कानूनी रूप से वैध कर दिया गया। मगर अभी भी कुछ देश ऐसे है जहा समलैगिक सम्बन्ध गैरकानूनी है।
आर्टिकल 377 क्या है | article 377 क्या है
अभी कुछ साल पहले तक भारत में भी समलैगिकता गैर कानूनी थी। सविधान के आर्टिकल 377 में इसको गैरकानूनी करार दिया था। इस प्रावधान के अन्तर्गत दोषी को 10 साल की सजा होती थी।समलैगिक समुदाय के कई वर्षो के सघर्षो के बाद आखिरकार 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्टिकल 377 में से सजा का प्रावधान हटा। ये भारत में रह रहे एलजीबीटी समुदाय के लिए बहुत बडी जीत थी। लेकिन इससे पहले कि उनके जीवन में कुछ बदलाव आता।
देश के सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी एलजीबीटी समुदाय के लोगो ने हार नही मानी। आखिकार 6 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट को समलैगिक लोगो की बात मानते हुए 377 को हटाना पडा। अब भारत में समलैगिक सम्बन्ध बनान अपराध नही है। भारतीय कानून इस बात को मानता है कि समलैगिक लोगो को भी अपनी इच्छा के अनुसार इस देश में रहने का अधिकार है।
भारत में समलैगिकता के प्रति लोगो का नजरिया क्या है
भारत एक पारंपिक और सास्कृतिक देश है। सामाजिक और धार्मिक परम्पराओं यहा काफी ज्यादा अहमियत रखती है। यहा के लोगो की सोच भी धार्मिक और सामाजिक परम्पराओं से बनती और विकसित होती है। यही वजह है कि सब कुछ जानते और समझते हुए भी लोग अभी भी समलैगिक लोगो के प्रति उदार नही हो पाये है।
समाज अभी भी समलैगिक लोगो को नही समझ पाया है।समाज समलैगिकता अभी एक अभिशाप की तरह है। हर किसी की किस्मत गोलू जैसी नही होती। अभी भी ना जाने कितने गोलू सामाज के डर से अपने ही शरीर में घुट घुट कर मरने के लिए मजबूर है। ये मजबूरी कब खत्म नही। कब इस देश के लोग समलैगिक लोगो और उनके दर्द को समझ पायेगे। समझ भी पायेगे या नही। ये वो सवाल है जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नही है।

Homosexuality kya hai | हम उम्मीद करते है ये बात आपको समझ आ गई होगी।