jayant chaudhary story | जयंत कुमार सिंह कैसे बने चौधरी जंयत सिंह

इस बार के उत्‍तर प्रदेश चुनावों में जयंत चौधरी (Jayant chaudhary story) पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश युवाओं के बीच नायक बनकर उभरे है। उत्‍तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव और योगी आदित्‍यनाथ के बाद जिस एक नाम की चर्चा पूरे सूबे में हो रही है वो नाम जयन्‍त चौधरी (Jayant chaudhary story) का ही है। जयन्‍त चौधरी अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, अपने पिता चौधरी अजीत सिंह की विरासत को आगे सभालते हुए किसानो का काफी मजबूत और सशक्‍त नेतृत्‍व करते हुए नजर आ रहे है। किसान आंदोलन के बाद भारतीय जनता पार्टी से नाराज हुए जाट सामाज के बीच उनका असर साफ देखा जा रहा है। इस बार उत्‍तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावो में उनकी पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल का अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है।

Jayant chaudhary story

राष्‍ट्रीय लोक दल का पश्चिमी उत्‍तर में रहने वाले जाटो और किसानो के ऊपर काफी ज्‍यादा प्रभाव है। तो क्‍या जंयत चौधरी की पार्टी आरएलटी पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में कोई बड़ा उलटफेर करने वाली है। फिलहाल ये तो मार्च के महीने में चुनावो के परिणाम आने के बाद ही पता चल पायेगा। लेकिन जंयत चौधरी को उत्‍तर प्रदेश के जाटो का जिस तरह से सर्मथन मिल रहा है। उसको देखकर ये आसानी से कहा जा सकता है कि उनकी पार्टी इस बार के विधान सभा चुनावो में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ी चुनौती देने वाली। तो आज हम आपको उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में गेमचेंजर बनकर उभरने वाले चौधरी जयंन्‍त सिंह के बारे में विस्‍तार से बताने वाले है। इस लेख में हम आपको जयंत चौधरी के चौधरी जयन्‍त बनने की कहानी के बारे में विस्‍तार से बताने वाले है।

Jayant chaudhary story | पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते है चौधरी अजीत सिंह

भारत में किसानो की राजनीति करने का श्रेय अगर किसी एक नेता को जाता है तो वो जयंत सिह के दादा चौधरी चरण सिंह है। चौधरी चरण सिंह की पूरी राजनीति किसानो के मुद्दो के ऊपर केन्द्रित थी। किसानो के मुद्दो को संसद के पटल तक ले जाने वाले चौधरी चरण सिंह उत्‍तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहने के देश साथ कुछ महीनो के लिए देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे। चौधरी चरण सिंह के बारे में और ज्‍यादा जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते है।
chaudhary charan singh story | एक राजनेता जिसने किसानों की समस्‍याओं को संसद तक पहुंचाया

फिलहाल इस लेख में हम आपको जयंत चौधरी के बारे में बता रहे थे। लेकिन जयन्‍त चौधरी के पिता का नाम चौधरी अजीत सिंह है। अजीत सिंह चौधरी चरण सिंह के बेटे जिनका निधन अभी कुछ समय पहले ही हुआ है। चौधरी चरण सिंह से बिल्‍कुल अलग चौधरी अजीत सिंह आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद विदेश में नौकरी करने चले गये थे। जब वो टेक्‍सास में नौकरी कर रहे थे उसी दौरान 27 दिसम्‍बर 1978 को जयंत सिंह का जन्‍म हुआ।
जयन्‍त की माता का नाम राधिका सिंह है। चौधरी अजीत सिंह अपने परिवार के एक अर्बन मिडिल क्‍लास फैमिली की तरह विदेश में अपनी जिन्‍दगी गुजार रहे थे। लेकिन जब चौधरी चरण सिंह की मृत्‍यू का वक्‍त करीब आया तो वो अपनी नौकरी छोड़कर वापस अपने घर आ गये। यही से उनकी राजनीतिक पारी की शुरूआत हुई। चौधरी अजीत सिंह के बारे में और ज्‍यादा जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते है।
choudhary ajeet singh story- वो किसान नेता जो यूपी का मुख्‍यमंत्री बनने बनते रह गया

Jayant chaudhary story

Jayant chaudhary story | अपने पिता की सियासत को देखकर बड़े हुए जयन्‍त सिंह

सत्‍ता के लिए लडाई जरूर है। लेकिन व्‍यक्तिगत लड़ाई नही है। मै नही मानता कि सत्‍ता में रहकर कोई मौज होती है- जयन्‍त सिंह

जयन्‍त सिंह ने अपने पिता चौधरी अजीत सिंह की सियासत को बहुत करीब से देखा है। उन्‍होने वो भी जमाना देखा है जब उनके पिता केन्‍द्र में रहने वाली हर सरकार का एक अहम हिस्‍सा हुआ करते थे। जब उनके पिता अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया करते थे तो जयन्‍त चौधरी भी अक्‍सर उनके साथ चुनाव प्रचार में जाया करते थे। अजीत सिंह ने हमेशा किसानो और जाटो के मुद्दो को तरजीह दी। वो चाहे किसी भी गठबन्‍धन का हिस्‍सा रहे हो उनकी प्राथमिकता हमेशा ये रही कि वो जाटो और किसानो की समस्‍याओ को दूर कर सके।

Jayant chaudhary story | लंदन स्‍कूल ऑफ इकनामिक्‍स से ग्रेजुएट है जयंत सिंह

जयंत को एक तरफ किसानो के जमीनी मुद्दो की काफी समझ है वही ये भी जानते है कि दुनिया भर कि सरकारे किस तरह से अपने देश में काम करती है। वो एक काफी समझदार और काबिल नेता है। हिन्‍दी से लेकर अग्रेजी भाषा तक उनकी काफी पकड़ है। जयंत की पढाई विदेश में हुई है। उन्‍होने लंदन ऑफ स्‍कूल इकनामिक्‍स से ग्रेजुएशन किया है। अपनी पिता की तरह वो भी कुछ दिन से एक वाइट कॉलर जॉब करने के बाद अपने देश में वापस आकर अपनी राजनीतिक विरासत को सभालने में लग गये। अब जयंत चौधरी अपनी पूरी ताकत और काबिलियत के साथ किसानो के मुद्दो को लेकर राजनीति करते हुए दिखाई दे रहे है।

Jayant chaudhary story | जब जयन्‍त चौधरी ने पहली बार चुनाव लड़ा

जयंत चौधरी पहली बार चुनावी राजनीति में 2009 में आये। उन्‍होने अपना पहला चुनाव मथुरा से लड़ा। अपने पहले ही चुनाव में जयन्‍त चौधरी को जबरदस्‍त जनता का सर्मथन मिला। वो मथुरा से 2009 से लेकर 2014 तक सांसद भी रहे। जब वो पहली बार सांसद बने थे तो उनकी उम्र मात्र 31 साल थी। हालाकि बाद में उनकी पार्टी की हालत खराब होती है। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगो की वजह से आरएलडी का वोटर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया। इसी दौरान मोदी फैक्‍टर ने उत्‍तर प्रदेश की तमाम राजनैतिक पार्टियों को ध्‍वस्‍त कर दिया। यही वजह रही है कि 2014 के चुनावो में जयन्‍त चौधरी को जबरदस्‍त हार मिली। इस चुनाव में उन्‍हे बीजेपी की हेमा मालिनी का काफी भारी मतो से हराया। वो 2019 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी उन्‍हे हार का सामना करना पड़ा। 2019 में उन्‍हे बीजेपी के टिकट पर सत्‍यपाल सिंह ने हराया।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में उतर रही आरएलडी के मुखिया जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने अपना नाम बदलकर चौधरी जयंत सिंह (Chaudhary Jayant Singh) कर लिया है। इस पर एक टीवी चैनल से बात करते हुए जंयत चौधरी ने कहा कि नाम में क्या रखा है।

Jayant chaudhary story | व्‍यक्तिगत जीवन

जयंत चौधरी ने 2003 में पंजाब की चारू सिंह से शादी। उनकी दो बेटिया भी है। जयन्‍त की एक बेटी का नाम शायिरा और दूसरी बेटी का नाम इलैशा है। जयन्‍त की पत्‍नी चारू सिंह यू तो राजनीति से दूर रहती है लेकिन कभी कभी वो अपने पति का लिए चुनाव प्रचार कर लेती है। चारू सिंह ने शेयर्स, बॉड और डिवेचर्स में इन्‍वेस्‍ट किया हुआ है। इसके अलावा उन्‍होने अपना पैसा सरकारी स्‍कीमों में भी लगा रखा है।

Jayant chaudhary story

Jayant chaudhary story | जयन्‍त चौधरी कैसे बने चौधरी जयन्‍त सिंह

अपने राजनैतिक जीवन में जयन्‍त चौधरी भले ही चौधरी जयन्‍त सिंह के नाम से फेमस हो लेकिन क्‍या आपको मालुम है कि उनका असली नाम जयन्‍त कुमार सिंह है। जी हॉ जयन्‍त चौधरी के पासपोर्ट पर उनका नाम जयन्‍त कुमार सिंह लिखा हुआ है। ये बात उन्‍होने खुद मीडिया को बताई है। ये पूछने पर कि उनका नाम चौधरी जयन्‍त सिंह कैसे पड़ा। उन्‍होने बताया कि पिता अजीत सिंह के निधन के बाद वो छपरौली में एक कार्यक्रम में गये थे। तो वहा की परम्‍परा है कि परिवार के मुखिया को पगड़ी बाधी जाती है। इस प्रोग्राम में कई खापों के बुजुर्गो ने भी हिस्‍सा लिया था। इन सब बुजुर्गो ने उनके सर पर पगड़ी बाधते हुए कहा कि आज से तुम्‍हारा नाम जयन्‍त चौधरी नही बल्कि चौधरी जयन्‍त सिंह होगा।

Jayant chaudhary story | क्‍या फिर से आरएलडी को मजबूत कर पायेगे जयन्‍त सिंह

पिता अजित सिंह के इस दुनिया से जाने के बाद जयंत पर पूरे ‘जाटलैंड’ को संभालने और पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी आ गई। इतना ही नहीं जयंत के कंधों पर अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की विरासत को संभालने, अजगर (अहिर, जाट, गुर्जर, राजपूत) को पुनर्जीवित करने की भी जिम्मेदारी है।

जयंत सिंह के जिम्मे यह चुनौती ऐसे समय में आई है, जब मुकाबले में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 325 सीट जीतने वाली भाजपा और उनके दादा की विरासत पर कब्जा जमा चुकी समाजवादी पार्टी है। समाजवादी पार्टी की कमान अब पूरी तरह से मुलायम सिंह के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में है। मुलायम सिंह यादव जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। वे चौधरी अजित सिंह को अपना गुरुभाई कहते थे। लेकिन दिलचस्प है कि दिसंबर 1989 में उत्तर प्रदेश की सत्ता मुलायम ने राजनीतिक चुतराई और अपनी सूझबूझ के जरिये चौधरी अजित सिंह  के जबड़े से खींच ली थी। तो क्‍या अब उत्‍तर प्रदेश में राजनीति का इतिहास बदलने वाला है या आरएलडी फिर सिर्फ एक इतिहासिक पार्टी बनके रह जाने वाली है। वेल आरएलडी और जयन्‍त चौधरी का भविष्‍य उत्‍तर प्रदेश का चुनाव काफी हद तक डिसाइड कर देगा।

Share and Enjoy !

Shares

2 thoughts on “jayant chaudhary story | जयंत कुमार सिंह कैसे बने चौधरी जंयत सिंह”

Leave a Reply