Malala yousafzai Success story, आज हम आपको मलाला यूसुफजई की कहानी सुनाने वाले है
जालिम चाहे कितना भी वहशी क्यो ना हो। अगर उसका सामना हिम्मत से किया जाये तो उसको अपने आगे सर झुकाने के लिए मजबूर किया जा सकता है। आज हम आपको एक ऐसी लडकी की कहानी सुनाने वाले है जिसकी अपनी हिम्मत और हौसले से उन आंतकियों का सामना किया जो दुनिया भर में मौत का दूसरा नाम बने हुए है। हम बात कर रहे है उस छोटी-सी लडकी की जिसने जब अपनी आवाज़ बुलन्द की तो इन आवाजों से गोले बारूदों और बन्दूको को अपने गलों में लटकाये तालीबानी लश्कर भी खौफजदा हो गया।
तालीबानियों को इस छोटी-सी बच्ची की आवाजइ इतनी चुभी कि उन्होने इस बच्ची के सिर में गोलिया उतार दी। दुनिया भर डराने वाले आंतकी एक बच्ची से इतना डर गये कि उन्होने इसे लगभग जान से मार ही दिया था। हम बात कर रहे है मलाला यूसुफजई की। आईये हिम्मत और हौसलों से भरी हुई मलाला यूसुफजई की इस कहानी को शुरूआत से शुरू करते है।
मलाला के जीवन की शुरूआत कहा से हुई। Malala yousafzai Early age
मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वारइ प्रांत के स्वात जिले के मिंगोरा नाम के गाँव में हुइ। मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन था जो एक टीचर थे। मलाला की माँ का नाम तूर पेकई है। उनके दो भाई है।
मलाला जिस स्वात घाटी पर रहती थी। वह घाटी तालीबानियों के अंडर में थी। वहाँ आंतकवादियों का राज चलता था। धीरे-धीरे इस धाटी को आंतकवादियों ने पूरी तरह से अपने अधिकार में ले लिया था। अब यहा सिर्फ़ तालिबानियों की चलती थी। आंतकवादियों ने अपना तुगलकी फरमान स्वात घाटी के लोगों को सुना दिया था। लडकियों के स्कूल जाने, सैलून जाने, गाने सुनने, डॉस करने आदि पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। जो भी लडकी ये सब करने की कोशिश करती थी। आंतकवादी उसका सिर काटकर स्वात की घाटियों में फेक दिया करते थे।
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मलाला जब थोडी-सी बडी हुई और उनको स्वात घाटी की ये सारी बाते पता चली। तो उन्होने आंतकवादियों पर बहुत गुस्सा आ गया। 2008 में जब वह सिर्फ़ 10 या 11 साल की थी। उन्होने अपने साथ के बच्चों को शिक्षा को लेकर जागरूक करना शुरू कर दिया।
आंतकवादी स्वात घाटी में जो भी कुछ कर रहे थे। मलाला उन सारी बातों को एक डायरी में नोट कर लगी। इस डायरी में उन्होने अपने आस के उन सभी हालातों को लिखा जो वहा के लोग तालिबानियों की वज़ह से फेस कर रहे थे।

मलाला की डायरी
मलाला को अपने पिता का पूरा साथ मिला। मलाला के पिता ने अपनी बेटी की इस डायरी को बीबीसी उर्दू के हवाले कर दिया। इस डायरी के जरिये दुनिया को पहली बार ये पता चला कि स्वात धाटी में आतंवादी किस तरह से लडकियों और औरतों पर जुल्म कर रहे है। अपनी पहचान को छिपाने के लिए मलाला ने अपना नाम गुल मकई रखा था।
मलाला ने 2009 में नेशनल प्रेस के सामने भाषण दिया। इस भाषण में उन्होने स्वात घाटी में घटने वाली घटनाओं की बाते की। उन्होने दुनिया को बताया कि आंतकवादी स्वात घाटी पर किस तरह से कब्जा किये हुए है। 2009 में ही उन्होने दुनिया को ये भी बता दिया कि वह ही गुल मकई है।
जब तालिबानियों ने मलाला को गोली मारी। Malala yousafzai Shot
मलाला यूसफजई अब मुखर होकर तालिबानियों के खिलाफ बोलने लगी थी। वो दुनिया भर के अखबारों और न्यूज चैनलों को इन्टरव्यू भी दे रही थी। एक छोटी-सी लडकी तालिबानियों को दुनिया के सामने एक्सपोज कर रही थी। लडकियों को लेकर तमाम कानून बनाने वाले तालिबानी ये कैसे बर्दाश्त करते कि एक लडकी अपनी बात भी दुनिया के सामने रखे।
मलाला तालिबानियों के निशाने पर आ चुकी थी। वर्ष 2010 में उन्होने मलाला को जान से मारने की कोशिश की लेकिन वह बच गई।
बात 9 अक्टूबर 2012 की है। बच्चों से भरी हुई खैबर पख्तूनख्वा की तरफ़ जा रही थी। जैसे ही ये बस स्वात घाटी से निकली। कुछ नकाप पोश बस में चढ गये और कौन है मलाला, कौन है मलाला चिल्लाने लगे। अचानक इनमे से एक आंतकवादी ने मलाला को देखा। उसने उसी वक्त मलाला के सिर में गोली मार दी। मलाला को गोली मारकर ये आंतकवादी बस से उतर गये।
मलाला के सिर में गोली लगी थी। लेकिन उनकी सांसे चल रही थी। जल्दी से पास के एक अस्पताल में ले जाया गया। वहा से उन्हे ब्रिटेन के एक अस्पताल में ले जाया गया। ब्रिटेन में उनका अच्छा इलाज़ हुआ और उनकी जान बच गई।
मलाला को ये सारे पुरूसकार मिल चुके है
अंतराष्ट्रीय बाल शाति पुरूस्कार
पाकिस्तान का राष्ट्रीय शांति पुरूस्कार
नोबेल पुरूस्कार
अब क्या कर रही है मलाला
मलाला इस वक्त 23 साल की हो गई है। वह अब अमेरिका में रह रही है। उन्होने ऑक्सफोर्ड विश्वविधालय से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में बीए की ड्रिग्री ली है। मलाला दुनिया भर उन संगठनों के साथ काम कर रही है जो महिलाओं के अधिकारों को लेकर सामाजिक कार्य कर रहे है। इसके अलावा मलाला को दुनिया भर में एक मोटीवेशन स्पीकर के रूप में भी जाना जाता है। सयुक्त राष्ट्र ने उनके काम से प्रभावित होने उनके जन्मदिन यानी 12 जुलाई को मलाला डे के रूप में मनाने की घोषणा की है।
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तो ये थी मलाला यूसुफजई की कहानी (Malala yousafzai Success story) हम उम्मीद करते है आपको हमारी ये कहानी पसन्द आई होगी।