odisha train accident in hindi

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ओडिशा के एक क्षेत्र बालासोर में कल शाम तीन ट्रेनों की भीषण टक्कर में 233 लोगों की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे ने देशभर के लोगो के दिलो को दहला दिया है। ये ट्रेन हादसा इतना ज्‍यादा खतरना था कि इस हादसे में तकरीबन 1000 लोग गभीर रूप से घायल हो गये है। सरकारी आकडो के मुताबिक तो तब तक 233 लोगो के मरने की पुष्ठि हुई है लेकिन ये आकड़ा अभी काफी आगे जा सकते है। इस लेख में हम आपको इस बेहद ही दर्दनाक हादसे के बारे में विस्‍तार से बताने वाले है।

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ओडिशा में ये ट्रेन हादसा तब हुआ जब एक यात्री ट्रेन कोरोमंडल शालीमार एक्‍सप्रेस पटरी से उतर गई। पटरी से उतरकर ये ट्रेन एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस टक्‍कर के बाद एक अन्‍य ट्रेन यशंवतपुर-हावड़ा सुपरफास्‍ट इस पटरी हुए उतरे हुए इस ट्रेन के डिब्‍बो से टकरा गई। इस सुपरफास्‍ट एक्‍सप्रेस की टक्‍कर इतनी खतरनाक थी कि ट्रेन के डिब्‍बे मलवे के ढेर में बदल गये।

भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक अमिताभ शर्मा ने एएफपी को बताया, “दुर्घटना में दो यात्री ट्रेनों की सक्रिय भागीदारी थी, जबकि तीसरी ट्रेन, एक मालगाड़ी थी, जो साइट पर खड़ी थी, भी दुर्घटना में शामिल है.” देश की सबसे घातक ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक शाम 7 बजे के आसपास हुई, जब कई यात्री सो रहे थे. चेन्नई जा रही कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस कथित तौर पर पटरी से उतर गई और एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिसके बाद कई डिब्बे पलट गए.

इसके बाद यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गई. टक्कर के वक्त दोनों ट्रेनें तेज गति से चल रही थीं. अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम 6 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट के बीच कुछ ही मिनटों में भीषण त्रासदी हुई. संभावित परिचालन विफलता पर सवालों के बीच रेलवे ने जांच के आदेश दिए हैं. बचाव अभियान रात भर जारी रहा क्योंकि श्रमिकों और स्थानीय लोगों ने क्षतिग्रस्त मलबे से शवों और जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की. इसके बाद में एनडीआरएफ के जवान और सेना के जवान मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू किया.

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किसी ट्रेन के डिरेल होने की क्‍या सभांवनाये होती है

ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह कोरोमंडल एक्सप्रेस का डिरेल होना यानी, पटरी से उतर जाना बताया जा रहा है। किसी ट्रेन के डिरेल होने की 4 संभावनाएं होती हैं…

1. ट्रैक या पटरी में फ्रैक्चर

जब ट्रेन के ट्रैक के बीच की चौड़ाई बढ़ जाती है या दो पटरियों के बीच का जोड़ कमजोर हो जाता है, ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह मैन्युफैक्चरिंग और इंस्टालेशन डिफेक्ट, एक्स्ट्रीम गर्मी या मेंटेनेंस की कमी से हो सकता है।

2. रेलवे इक्विपमेंट्स या टेक्निकल गड़बड़ी

पहिए, लोकोमोटिव बीयरिंग, सस्पेंशन और रेलवे बोगी में होने वाली खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है। ट्रेन सिग्नल और नेटवर्क की मदद से चलती है। ऐसे में कई मौकों पर कंट्रोल रूम या नेटवर्क से संपर्क टूटने के बाद टेक्निकल खराबी की वजह से भी ट्रेन डिरेल होती है।

3. मानवीय भूल

लोको पायलट, गार्ड या किसी अन्य ऑपरेशनल मैनेजर की भूल की वजह से भी ट्रेन पटरी से पलटने की संभावना होती है। अमूमन स्लो सिग्नल के बावजूद ट्रेन को फास्ट चलाना, कम्युनिकेशन गैप, रेलवे रूल्स फॉलो न करना हादसे की वजह बनी है।

4. मौसम

जब किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा गर्मी पड़ रही हो या किसी क्षेत्र में काफी ज्यादा ठंड हो तो वहां रेलवे पटरियों में फैलाव कम-ज्यादा हो सकता है। ज्यादा बारिश या तेज हवा में रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने की वजह से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है।

ओडिशा रेल हादसे के दो सिनेरियो हो सकते हैं…

1. अगर कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में ट्रैक में फ्रैक्चर, रेलवे इक्विपमेंट्स में गड़बड़ी या मानवीय भूल वजह हो सकती है। एक वजह ये भी हो सकती है कि ट्रेन को स्लो चलने या ठहरने का सिग्नल हो, लेकिन ड्राइवर इसे फॉलो न कर सका हो। इससे कोरोमंडल डिरेल हुई और उसके डिब्बे तीसरे ट्रैक पर पहुंच गए। उसके थोड़ी ही देर बाद बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आई और ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से टकराकर डिरेल हो गई। इसकी वजह ये हो सकती है कि बेंगलुरु-हावड़ा के लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की।

2. या फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मालगाड़ी से टकराकर डिरेल हुई और उसके मलबे से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई… ऐसी स्थिति में जिस ट्रैक पर मालगाड़ी खड़ी थी, उसी ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस चली गई होगी। वजह- सही सिग्नल न मिलना, कंट्रोल रूम और ड्राइवर की लापरवाही और रेल पटरियों में सुरक्षा कवच का अभाव। इसके बाद तीसरे ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल एक्सप्रेस के मलबे से थोड़ी देर बाद आई बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट टकरा गई।
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इसकी वजह ये हो सकती है दोनों ट्रेनों के टकराने के बावजूद लोकोपायलट को सही सिग्नल नहीं मिला या उसने अनदेखी की। अपडेटः खड़गपुर रेलवे डिवीजन के अधिकारियों की प्राइमरी जांच में ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की मुख्य वजह सिग्नल फेल्योर होना बताया जा रहा है। शाम करीब 6.50 बजे 128 किमी/घंटे की रफ्तार से कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाए लूपलाइन में घुस गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे मालगाड़ी और कुछ बगल के ट्रैक में बिखर गए। इसके बाद शाम करीब 7 बजे 116 किमी/घंटे की रफ्तार से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन ट्रैक पर बिखरे कोरोमंडल ट्रेन के कोच से टकरा गई।

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