Swami Prasad Maurya की पॉलिटिक्‍स क्‍या है

Swami Prasad Maurya ने अभी हाल ही में अपना राजनैतिक पाला बदला है। उन्‍होने अभी हाल ही में यूपी की योगी सरकार से इस्‍तीफा दे दिया है। वो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। फिलहाल उन्‍होने भारतीय जनता पार्टी ये इस्‍तीफा दे दिया है। ऐसे में सबसे अहम सवाल ये है कि क्‍या स्‍वामी प्रसाद मोर्य (swami Prasad Maurya) का अचानक इस तरह से इस्‍तीफा देने से भारतीय जनता का पार्टी को आगामी यूपी के विधानसभा चुनाव में क्‍या नुकसान और फायदा होने वाला है। इससे भी अहम सवाल ये है कि पिछले तकरीबन 5 सालो तक पार्टी का हिस्‍सा बनने के बाद अचानक इलेक्‍शन से ठीक पहले स्‍वामी प्रसाद मोर्य का अपनी वर्तमान पार्टी से इस्‍तीफा देने का मतलब क्‍या है। आज इस लेख में हम आपको स्‍वामी प्रसाद मोर्य (swami Prasad Maurya) की राजनीति के बारे विस्‍तार से बताने वाले है।
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Swami Prasad Maurya

swami Prasad Maurya कौन है

स्‍वामी प्रसद मोर्य बीजेपी के टिकट पर 2016 में यूपी के पडरौना से चुनाव लड़े थे। वो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। वो योेगी के कैबिनेट में श्रम मंत्री का कार्यभार सभांल रहे थे। स्‍वामी प्रसाद मोर्य को पिछड़े सामाज का नेता माना जाता है। उन्‍हे कई वर्षो तक बहुजन समाज पार्टी में भी काम किया है।

1980 में राजनीति में आये स्‍वामी प्रसाद मोर्य

स्‍वामी प्रसाद मोर्य ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत 1980 में की। वो 5 बार विधायक भी रह चुके है। उन्‍होने 2012 से लेकर 2016 तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्‍मेदारी भी संभाली है। जब स्‍वामी प्रसाद मोर्य बसपा में थे तो वो बसपा के प्रदेश अध्‍यक्ष हुआ करते थे। कई वर्षो तक बसपा में रहने के बाद वो 2017 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गये। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कमल के निशान से चुनाव लडे़। इन चुनावो में उन्‍हे भारी मतो से जीत मिली। वो 8 अगस्‍त 2016 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। आपको ये भी मालुम होना चाहिए कि बसपा और भाजपा में शामिल होने से पले वो लोकदल का हिस्‍सा हुआ करते थे। स्‍वामी प्रसाद मोर्य की बेटी संघमित्रा मोर्य भी बीजेपी में है और बदायू की लोकसभा का चुनाव जीतकर लोकसभा की सदस्‍य है।

स्‍वामी प्रसाद मोर्य ने बसपा से इस्‍तीफा क्‍यो दिया था

स्‍वामी प्रसाद मोर्य ने 2016 में ये कहते हुए बसपा से इस्‍तीफा दे दिया था कि बसपा सुप्रीमों चुनाव के दौरान टिकटो की खरीद फरोख्‍त करती है। इन बातो के चलते ही उन्‍होने बसपा को छोड दिया था। बसपा को छोड़ने के बाद 2016 में उन्‍होने अपना दल भी बनाया था। उनके अपने दल का नाम लोकतांत्रिक बहुजन मंच था।

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