इस लेख में हम आपको सामान आचार संहिता (uniform civil code kya hai) के बारे में विस्तार से बताने वाले है।
अभी हाल में उत्तराखंड सरकार ने समान आचार संहिता (uniform civil code) बनाने के लिए एक ड्राफ्टिग कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया है। उत्तराखंड सरकार की इस पहल के बाद देश भर में यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर बहस शुरू हो गई है और ऐसा माना जा रहा है कि बहुत जल्द मोदी सरकार uniform civil code को लेकर एक बडा फैसला करने वाली है। समान नागरिक संहिता कानून क्या है और इस कानून के लागू होने से देश की लॉ सिस्टम में किस तरह का बदलाव आयेगा। आइये इस पूरे विषय पर विस्तार से बात करते है।

Uniform civil code kya hai
Uniform civil code को आप कॉमन सिविल कोड भी कह सकते है। यानि कि एक ऐसा कानून जो देश में रहने वाले हर नागरिक के ऊपर सामान रूप से लागू होगा। इस कानून को आप ऐसे भी समझ सकते है कि ये एक ऐसा धर्म निरपेक्ष कानून है जो देश में रहने वाले सभी नागरिको को उनके सिविल मामलो में एक सामान अधिकार देगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद भारत देश में रहने वाले सभी मजहबो के लिए एक सामान कानून हो जायेगा। इस कानून के लागू होने के बाद सभी मजहबो के लोगो के लिए शादी, तलाक, प्रॉपटी जैसे अधिकार सबसे लिए एक जैसे हो जायेगे।
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Uniform civil code ke fayde kya hai
इस लेख को आपको ये तो समझ में आ गया होगा कि uniform civil code kya hai। अब इस बात पर चर्चा करते है कि समान नागरिक संहिता का कानून बन जाने से देश के लोगो को क्या फायदा है। इस वक्त देश में जो दो तरीके के कानून है। एक criminal act और दूसरा civil act। क्रिमिनल एक्ट मे चोरी डकैती, लूटपाट, मर्डर जैसे मामले आते है। इन सारे गुनाहो के तहत सजा का प्रावधान सभी नागरिको के लिए एक जैसा है। मर्डर करने वाला चाहे कोई भी धर्म का है अगर उसका गुनाह साबित हो जाता है तो उसे एक सामान सजा मिलेगी। अब बात करते है civil act की। civil act के तहत शादी, तलाक, खानदानी सम्पत्ति का बटवारा, बच्चे का पालन पोषण जैसे निजि मामले आते है।
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सिविल एक्ट से सम्बन्धित मामलो का निपटारा कोर्ट धर्म के आधारा पर किया जाता है। इन मामलो में हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगो के लिए हिन्दू कोड बिल है तो मुसलमानो के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोड। एक ही देश में रहने वाले दो अलग धर्म के लोगो के निजि मामलो को अलग अलग तरीके से हल किया जाता है। जिसकी वजह से इन मामलो को साल्व करने में कोर्ट को काफी समय लगाना पडता है। इसके अलावा पुरानी धार्मिक मान्यताओ और रीतिरिवाजो पर आधारित व्यवहारिक ना होकर जेंडर इनजस्टिस से भी भरे हुए है। तीन तलाक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानूनो का एक अच्छा उदाहरण है जो फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से खत्म हो गया है। इसके अलावा uniform civil के आने से कई फायदे होगे जो कि इस प्रकार है।
- इस कानून के आने से महिलाओ खास कर मुस्लिम महिलाये काफी सशक्त हो जायेगी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत अभी शादी को लेकर जो कानून है। उसके अनुसार एक आदमी को तो चार शादिया करने की इजाजत है लेकिन एक औरत के लिए ऐसा कोई प्रावधान नही है।
- एक देश एक विधान होने के कारण अदालतो में सिविल सम्बन्धित मामले तेजी से हल होने लगेगे।
- मुंस्लिमो में बहु विवाह जैसी परम्परा का अन्त हो जायेगा।
- महिलाओ को भी अपने पति की सम्पत्ति में उचित अधिकार मिलेगा।
Uniform civil code ke nuksan kya hai
कुछ लोगो का मानना है कि ये कानून सविधान में अर्टिकल 25 में दिये गये उस मौलिक अधिकार का उलंघन करता है। जिसके तहत सभी नागरिको को अपने धार्मिक रीतिरिवाजो के आधार अपने जिन्दगी जीने का अधिकार है।
यूनिफार्म सिविल कानून को लेकर सविधान क्या कहता है
यूनिफार्म सिविल कोट को लेकर सविधान के अर्टिकल 44 में राज्यो की सरकारो को ये स्पष्ट आदेश दिया गया है कि वो अपने राज्य में ये कानून लागू करे ।
क्या भारत के किसी राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है
हॉ, गोवा में यूनिफार्म सिविल कोड के तहत ही सिविल मामलो के निपटारे किये जाते है। ये भारत के इकलौता ऐसा राज्य है जहा पिछले काफी सालो से यूनिफार्म सिविल कोड काम कर रहा है।

समान नागरिक संहिता कानून को लागू करने के सम्बन्ध में बाबा साहेब का क्या मत था
भारतीय सविधान के निर्माता और हिन्दू कोड बिल की रूपरेखा तैयार करने वाले बाबा भीमराव अम्बेडकर पूरी तरह से समान नागरिक संंहिता ( Uniform civil code kya hai) के पक्ष में थे। समान नागरिक संहिता को लेकर 2 दिसंबर 1948 को हुई सविधान सभा की एक बैठक में बाबा साहेब ने कहा भी था कि केन्द्र को ही ये काम करना होगा। जितनी जल्दि हम हम इस देश के नागरिको को समान नागरिक संहिता को अपनाने के लिए तैयार कर लेंगे। उतना ही हमारे देश के लिए अच्छा रहेगा।
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इशात जैदी एक लेखक है। इन्होने पत्रकारिता की पढाई की है। इशात जैदी पिछले कई सालों से पत्रकारिता कर रहे है। पत्रकारिता के अलावा इनकी साहित्य में भी गहरी रूचि है।
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